मेरे स्कूल की कहानी

में हु नन्ही कली,
जो रोज सवेरे  स्कूल को चली,
छोटा सा बस्ता लिए,
सुबह का नाश्ता किये,
घर से दूर जाने से दुखी,
मगर दोस्तों से मिलने की खुशी,
हम है जो पहले चलने से डरते,
लेखिन फिर न रोकने से रुकते,
हमसे करते है सब प्यार,
और है भी हम, लायक दुलार,
है तो हम शरारती वैसे,
कार्टून नेटवर्क के टॉम एंड जेरी जैसे,
टीचर की हर बात हम मानते,
वो जो सीखती, उससे हम दुनिया को जानते,
धीरे धीरे स्कूल में सब बन गए अपने,
और सबके थे अपने ही सपने,
पहली बार स्कूल में रोते रोते आये,
और अब माँ से पूछते है, कब हम जाये,
पापा ने सिखाया चलना,
मगर स्कूल ने सिखाया घिरना संबलना,
जहा सब चाहते थे हम पढाई में बने घोडा,
मगर स्कूल ने खेल कूद के तरफ भी मोड़ा.
खुशिया अकेले नहीं कई परीक्षाएं भी हुई,
अच्छे अंको से अगले कक्षा में गयी,
अब जाना मैं कैसे बनी सैयनी?
ये है मेरे स्कूल की कहानी !!!

~ मर्लिन थॉमस

A poem about my school

Comments

Popular posts from this blog

Roomies

ENERGIZING LIFE WITH MAX FRESH MOVE

My Expertise - Inspired by articles on the Reward me